
(डॉ.ज़फर सैफ़ी/संपादक)
देहरादून: होम्योपैथिक चिकित्सकों के लिए लागू एक राष्ट्र-एक पंजीयन व्यवस्था में उत्तराखंड ने देश में पहला स्थान हासिल किया है। प्रदेश के 89 प्रतिशत डाक्टर एनआरएच (नेशनल रजिस्टर फार होम्योपैथी) में पंजीकरण करा चुके हैं। एनआरएच पंजीकरण में असम दूसरे व गुजरात तीसरे स्थान पर है। राष्ट्रीय होम्योपैथिक आयोग, नयी दिल्ली में देश के सभी राज्यों के रजिस्ट्रार की बैठक आयोजित की गई। जिसमें एक राष्ट्र-एक पंजीयन व्यवस्था के तहत एनआरएच का प्रशिक्षण दिया गया। राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग के अध्यक्ष डा. पिनाकिन एन त्रिवेदी ने सभी राज्यों के प्रतिनिधियों को एनआरएच के तहत अपलोड किए गए डाटा के विषय में जानकारी दी। बताया कि इसमें उत्तराखंड अग्रणी राज्य है तथा यहाँ इस राज्य के चिकित्सकों का 89 प्रतिशत डाटा फीड हो चुका है। उन्होंने उत्तराखंड होम्योपैथिक मेडिसिन बोर्ड के रजिस्ट्रार डा. शैलेंद्र पांडेय और टेक्निकल टीम के सचिन कोटनाला को इस बेहतरीन कार्य हेतु बधाई दी। बता दें कि केंद्र सरकार ने होम्योपैथिक चिकित्सकों के लिए एक राष्ट्र-एक पंजीयन की व्यवस्था लागू की है। इस पंजीकरण के आधार पर वह देश में कहीं भी प्रैक्टिस करने के लिए अधिकृत होंगे। उन्हें अलग-अलग राज्यों में पंजीकरण कराना अनिवार्य नहीं होगा।