आधुनिकता बढ़ा रही है माता-पिता और बच्चों के बीच दूरियां: आज़म

रामनगर। आधुनिक समय में माता-पिता और बच्चों के बीच कम होते संवाद को घातक बताते हुए नगर के काउंसलर आज़म से दोनों पक्षों से समन्वय बनाने की अपील की है। एक पत्रकार वार्ता में काउंसलर आज़म ने समाज के ताने बाने में हो रहे बदलाव पर चर्चा के दौरान कहा कि माता-पिता और बच्चों के बीच की दूरियां एक प्रकार से हमारे समाज की बदलती परिस्थितियों का परिणाम हैं। आज के समय में माता-पिता और बच्चों के बीच दूरियां बढ़ती जा रही हैं। यह विषय जितना सरल लगता है, उतना ही गहरा और संवेदनशील है। इसके पीछे कई कारण हैं, जिनमें टेक्नोलॉजी का अत्यधिक प्रयोग, माता-पिता की व्यस्तता, बच्चों पर पढ़ाई और करियर का दबाव, और बदलती सामाजिक परिस्थितियां शामिल हैं। आजकल बच्चों का अधिकांश समय सोशल मीडिया और इंटरनेट पर व्यतीत होता है। इसके चलते वे परिवार के साथ समय बिताने से कतराते हैं। माता-पिता का भी सोशल मीडिया पर निर्भरता बढ़ रही है, और इसी के कारण परिवार के बीच संवाद में कमी आ रही है। टेक्नोलॉजी ने हमारे काम को आसान जरूर किया है, लेकिन परिवार में नजदीकियां कम करने का एक बड़ा कारण भी बन गई है। माता-पिता अपने बच्चों को सफल बनाना चाहते हैं और इसी चाहत में उन पर अत्यधिक दबाव डाल देते हैं। यह दबाव बच्चों को मानसिक रूप से परेशान कर सकता है और उन्हें परिवार से दूर कर सकता है। कई बार बच्चे खुद ही इतने व्यस्त हो जाते हैं कि माता-पिता के साथ बैठकर समय बिताने का मौका नहीं मिलता। आज के समय में नई पीढ़ी का दृष्टिकोण और सोच माता-पिता से काफी अलग हो चुकी है। वे स्वतंत्रता, अपने अधिकारों और अपनी पहचान को लेकर अधिक सजग हैं। माता-पिता अपनी पुरानी मान्यताओं और परंपराओं के अनुसार सोचते हैं, जबकि बच्चे नए जमाने के हिसाब से जीना चाहते हैं। इसके कारण दोनों के विचारों में मतभेद होने लगता है, जो धीरे-धीरे एक दूरी में बदल जाता है। समाज में आर्थिक असमानताएं भी एक अहम भूमिका निभाती हैं। कई बार माता-पिता के पास बच्चों के लिए वह समय और संसाधन नहीं होते, जो आज के बच्चों को चाहिए होते हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति भी एक बड़ी चुनौती बन सकती है, जिससे परिवार में तनाव और संवाद की कमी आ जाती है। बच्चों और माता-पिता के बीच संवाद की कमी भी दूरी का एक बड़ा कारण है। कई बार परिवार में तनावपूर्ण माहौल होने के कारण बच्चे और माता-पिता आपस में खुलकर बात नहीं कर पाते हैं। ऐसे में गलतफहमियां और दूरी बढ़ने लगती हैं। माता-पिता और बच्चों के बीच दूरियों को मिटाना आसान नहीं है, लेकिन यह नामुमकिन भी नहीं है। माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों के दृष्टिकोण को समझने का प्रयास करें। उनसे खुलकर बातचीत करें, ताकि वे समझ सकें कि नई पीढ़ी के लिए क्या महत्वपूर्ण है। इसी प्रकार, बच्चों को भी अपने माता-पिता के अनुभवों का सम्मान करना चाहिए। माता-पिता को अपनी प्राथमिकताओं में बदलाव करना चाहिए और बच्चों के साथ समय बिताने को महत्व देना चाहिए। बच्चों की छोटी-छोटी उपलब्धियों में शामिल हों और उनके साथ उन पलों को साझा करें। बच्चों के साथ उनकी रुचियों में हिस्सा लेना माता-पिता और बच्चों के बीच संबंध मजबूत कर सकता है। परिवार में टेक्नोलॉजी का उपयोग सीमित करें।
फोटो परिचय: काउंसलर आजम

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